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आदिवासी विकास विभाग

योजनाऐं विवरण
वन अधिकार मान्यता पत्रों का वितरण अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम- 2006, नियम-2007 यथा संशोधित नियम- 2012 के तहत् वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदाय किया जाता है।
मेट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति यह छात्रवृत्ति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के पात्र छात्र-छात्राओं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम जिसमें मेडिकल, इंजीनियरिंग एवं व्यावसायिक शिक्षा भी शामिल है। अध्ययन करने के लिए प्रदान की जाती है। यह योजना भारत सरकार के अनुदान व राज्य सरकार की निधि से विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु प्रोत्साहन देने हेतु प्रदान किया जाता है।
छात्रावास योजना विद्यार्थियों को अच्छे परिवेश में शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अनुसूचित जाति एवं जनजाति छात्रावास संचालित किये जा रहें है, बालक एवं बालिका के लिए पृथक-पृथक छात्रावास संचालित है। कक्षा 6वीं से 10वीं तक अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को प्री मैट्रिक छात्रावासों एवं उच्च स्तर की कक्षाआंे में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मेट्रिकोत्तर छात्रावासों में प्रवेश दिया जाता है।
आश्रम शाला योजना प्रदेश में वनांचल एवं दरस्थ क्षेत्रों में जहाॅं शैक्षणिक सुविधा उपलब्ध नहीं है, ऐसे स्थानों में आश्रम शालाओं की व्यवस्था की गई है। इन आश्रमों में पहली से आठवीं तक की कक्षा चलाई जाती है।
जवाहर आदिवासी उत्कर्ष विद्यार्थी योजना इस योजना के अन्तर्गत राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने हेतु उत्कृष्ट आवासीय शिक्षण संस्थाओं (शासकीय एवं निजी) में प्रवेश दिलाकर प्रतिस्पद्र्धात्मक बनाना है।
नर्सिंग प्रशिक्षण वर्ष 2009-10 से प्रदेश में बीएससी नर्सिंग चार वर्षीय व्यवसायिक पाठ्क्रम की शिक्षा हेतु योजना प्रारंभ की गई, जिसके तहत् अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विद्यार्थियों के द्वारा निजी नर्सिंग कालेजों में प्रवेश प्राप्त करने पर ट्यूशन फीस, छात्रावास एवं भोजन आदि पर व्यय हेतु सहायता प्रदान की जाती है।
स्वस्थ्य तन स्वस्थ्य मन (स्वास्थ्य सुरक्षा) योजना विभागीय छात्रावास-आश्रम जो वनांचल के दूरस्थ ग्रामों में संचालित है एवं जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की सुविधा नहीं है ऐसे छात्रावास-आश्रम में निवासरत छात्र-छात्राओं के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण हेतु निजी चिकित्सकों की नियुक्ति की जाती है, यह योजना वर्ष 2007-08 से लागू है।
विशेष कोचिंग योजना दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों के अभाव बना रहता है। इसके कारण छात्रावासों में निवासरत विद्यार्थी कठिन विषय में कमजोर रह जाते है। इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति छात्रावासांे में निवासरत विद्यार्थियों को विशेष शिक्षकों के माध्यम से कठिन विषयों के परीक्षा परिणाम पर गुणात्मक सुधार के साथ प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने योग्य बनाया जाना है।